रविवार, 19 जुलाई 2015

Muddaton Ki ( मुद्दतों की परवरिशें )

मुद्दतों की परवरिशें
हमने की थी तेरे ही लिए

ज़िन्दगी की मुश्किल घड़ियाँ
हमने जीली तेरे ही लिए

अब ना हम फिर कुछ कहेंगे
पलकों के बस् आँसू कहेंगे
ज़ख्मों की कोई कहानियों में
सारे दर्द और तक़लीफे
अमृत कर के पी ली हमने

मुद्दतों की परवरिशें
हमने की थी तेरे ही लिए

जाने-जिगर तेरी बेकदरीने
कर दिया दिल छलनी-छलनी
की खुशियों की क़ुर्बानियों में

मुद्दतों की परवरिशें
हमने की थी तेरे ही लिए

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