शनिवार, 26 सितंबर 2015

इतना हो की/itna ho ki

🌹इतना हो कि 🌹

इतना हो कि
मेरी यादें तुम मिटा दोगे
ये बात खुद को मै समझा सकूँ ||

इतना हो कि
तुम बिन मैं जीवन को अपने
पूरी तरह से कभी पा न सकूँ ||

पत्थर की दीवार जैसा
मन-जिगर बनाए तुम्हारी आरजू से
तुमने ही सौंपी फूलमाला तहसनहस कर सकूँ

इतना हो कि
सुख के बदले दुःख भुला न सकूँ
बेवफाई से और बड़ा कोई दुःख न पाऊँ

इतना हो कि
किसी का किसी के लिए रुकता नहीं
ये अपने आप को मैं समझा सकूँ

-----चारुशील माने (चारागर)
🌹

शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

हिंदी शायरी (चारागर)




ग़म जश्नों से छुपाती है दुनिया

दर्द हटाकर मुस्कुराकर तो देख

इरादों से बनती है इमारते इमले

बनाया इरादा कर के तो देख


धुआँओं को हटाकर तो देख

दिल की दुनिया से बाहर तो देख

कब से एक अदना सा मैं दिया

हर रात जलता हूँ ऐ "चारागर" देख