शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

रक्षाबंधन Rakshabandhan

रक्षाबंधन / भिक्षाबंधन

कसलं हे रक्षेचं बंधन
जबरदस्तीचं भिक्षाबंधन
ना दिला संपत्तीचा समान हक्क
स्त्रीला हजारो वर्ष संस्कृतीनं

        भावा - बहिणीला चंदन
        व्यापाराचं भरतं  आंगण
        ५१ मिनिटाला देशात बलात्कार
        बेगडी हे नात्याचं बंधन

केले लाखो बहीणींचे पोटी खून
कसे विसरू बुधवार पेठेतील बहिणींचे नर्तन
व्यर्थ आहे हे शरीरावरचं गोंदण
देत नाहीत लाखों बहीणींना शिक्षण

        आजही येलम्माच्या देवदासीला
        भाग आहे वेश्येचं जीवन जगणं
        आज तर " चारागर" नातंच झालं भग्न
        बहिण तर बनलं संपत्तीचं विघ्नं…

रक्षाबंधन - भिक्षाबंधन !!

           - चारुशील माने (चारागर)

रविवार, 23 अगस्त 2015

Mai Satta Bharat Ki मैं सत्ता भारत की

Mai Satta Bharat Ki मैं सत्ता भारत की

मैं मुठ्ठीभर लोगों की वो सत्ता हूँ
जो देश की नदियां जोड़ना नहीं चाहती
मैं मुठ्ठीभर लोगों की वो सत्ता हूँ
देहातों को बदलना नहीं चाहती
लोगों को देहातों में पढ़ाना नहीं चाहती

देहातों के घर-घर शांती नहीं चाहती
धर्मों में एकता की केमिस्ट्री नहीं चाहती
मैं मुठ्ठीभर लोगों की वो सत्ता हूँ
जो अन्तर्जाती विवाह नहीं चाहती
दिल-दिल के फासले तोडना नहीं चाहती

न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं चाहती
47 से खुद को दूसरे को सौंपना नहीं चाहती
मैं मुठ्ठीभर लोगों की वो सत्ता हूँ
देशदीवार की अपनी ईंटें सरकाना नहीं चाहती

नंगें मेलों में हो जाये चाहे तिजोरी ख़ाली
पर गरीबों में दौलत लुटाना नहीं चाहती
मैं मुठ्ठीभर लोगों की वो सत्ता हूँ
नंगें मेलों से आसाराम को खोना नहीं चाहती
रोगों को सल्तनत से मिटाना नहीं चाहती

मजहब का झगड़ा मिटाना नहीं चाहती
करप्शन को गले से हटाना नहीं चाहती
मैं मुठ्ठीभर लोगों की वो सत्ता हूँ
देहातों के झोपड़ें रहेंगे हज़ारों साल
दारिद्र्य को कौम से हटाना नहीं चाहती

वारिसदार गद्दी से हटाना नहीं चाहती
हो जाये यहाँ हर नारी चाहे बेइज्जत
मगर राधेमाँ को सताना नहीं चाहती
मैं मुठ्ठीभर लोगों की वो सत्ता हूँ
मर जाये चाहे बेक़सूर लोग यहांपर
मगर विस्फोटों को मिटाना नहीं चाहती
वोटर्स के लिये क्राइम रेट घटाना नहीं चाहती
(अपूर्ण)
- चारुशील माने (चारागर)




शनिवार, 8 अगस्त 2015

Sama Hai Mahka समां है महका-महका

समां है महका- महका
दिल भी है बहका बहका
दिल भी तरसा तरसा
समां है महका- महका
दिल भी तरसा तरसा
समां है महका- महका ।। धृ।।

रिम-झिम सा रिम-झिम सा -2
तुम ही है जो दिल ने जिस को
थामा है जो इतना पास
जानेजाना यूँ न सताओ
आजाओ ज़रा पास
सावन भी है ये बरसा-बरसा ।। 1 ।।
     दिल भी बहका-बहका
     समां है महका- महका

था कितना संयम-सा
हो गया चंचल-सा -2
समझाया था दिल को कितना
फिर भी न आया कभी ये बाज़
ख्याल तुम्हारा धीरे-धीरे
दिल का बना है राज़ - 2
तुम्हे पाने दिल तरसा तरसा ।। 2 ।।
      दिल भी है बहका बहका
      समां है महका- महका
                   - चारुशील माने (चारागर)