रविवार, 21 फ़रवरी 2016

संगीतसूर्य केशवराव भोसले keshavrao bhosle gaurav geet

गौरव गीत

इथे न नाजुक मोर पिसारा
पण गरुडाचे गगन भेदने
मर्म मराठा बुलंद बाणा
ऐसा केशव पुन्हा न होणे

सारे अभिनय गायन वैभव
सर्व कला या देश हितास्तव
असे मानिले सदैव ज्याने
ऐसा केशव पुन्हा न होणे

समर्थ ज्याचे सतेज गाणे
समशेरीचे जणु लखलखणे
कंठमणि तो रंगभूमिचा
ऐसा केशव पुन्हा न होणे

शनिवार, 6 फ़रवरी 2016

Gungunau mai गुनगुनाऊँ मैं

गुनगुनाऊ मैं नाम ही मैं तेरा
सुनसुनाऊ मैं नाम ही ये तेरा
कभी ना कभी होठों पे तेरे
आयेगा नाम मेरा...|| धृ ||
                    गुनगुनाऊ मैं नाम ही मैं तेरा।

रहे जहाँ हीरा
वहाँ पर्बतों का घेरा
पाने के लिए जिसे
ज़िन्दगी है फेरा
कहीं ना कहीं जुड़ा है नाता
तुझी से सनम मेरा...|| 1 ||
                गुनगुनाऊ मैं नाम ही मैं तेरा

दर्दों की राहों में
दर्दों का है मेला
यादों का पाला है
पैरों में है छाला
कभी ना कभी राहों से तेरी
मिलेगा रस्ता मेरा...|| 2 ||
             गुनगुनाऊ मैं नाम ही मैं तेरा

तेरे बिना सोचा तो
ज़ी ही टूट गया
मोहब्बतने हमें
तालीफ़ है किया
ज़िन्दगीने कितना
हमें झाँसा है दिया
कभी ना कभी अंधेरों में भी
सवेरा आयेगा मेरा || 3 ||
            गुनगुनाऊ मैं नाम ही मैं तेरा

मंगलवार, 12 जनवरी 2016

Sonyacha सोन्याचा

सोन्याचा नांगर दिला
जिजाऊ मातेने हाती हो
जिजाऊ मातेने हाती
पुण्याच्या कसबे मातीत
शिवबांनी नांगरली धरती हो
शिवबांनी नांगरली धरती || धृ ||

वंश बुडण्याची धमकी देऊनी
कब्जासाठी रोवली पहार
शूरवीर जिजाऊ मातेने
उखडून टाकली ती पहार ||1||
              सोन्याचा नांगर दिला...

अंधश्रद्धेला न बळी पडून -2
लोकमनाची काढली भिती
हो आमच्या मनात माँ
तव तेवेल विचारज्योती ||2||
                सोन्याचा नांगर दिला...
       - चारुशील माने

   "Sonyacha by Lalita Wavhal & C128"http://www.reverbnation.com/q/6dvr9b

Charusheel Mane (Chaaraagar) | Sonyacha by Lalita Wavhal & C128

House | Hingoli

www.reverbnation.com

सोमवार, 26 अक्टूबर 2015

दीवाली

दीवाली मनाओ...

इस साल दिवाली में
दीप ना जलाये...
फटाके ना फोड़े....
ना घरपर शो लाइट जलाये...
सब पैसा बेपारी को जायेगा....

करोडो दीप जलाने से तेल की
और ऑक्सीजन की खपत होगी
ये पैसा सड़क के गरीब बच्चों
या अनाथाश्रम के बच्चों को दो.....
(चारागर)

मुले जर फुले असतील तर
कोमल हाती फटाक्यांची अग्नी का द्यावी??

पृथ्वी जर देत असेल श्वास तर
बदल्यात फटाक्यांची विषहवा का द्यावी??

आहेत जर देशात भिकारी, दरिद्री तर
लाखोटन खाद्यतेलाची-ऑक्सीजनसह आहुति का द्यावी???
--++ चारुशील

मंगलवार, 13 अक्टूबर 2015

भारतीय खेड़े

भारतीय खेड़े

खेड़े म्हणजे विषमता
शतकांच्या कुडाच्या भिंती
शेतकऱ्यांना लावलेली मंदिराची पट्टी
दारिद्रयाचं कॉम्पिटिशन

खेड़े म्हणजे रस्त्यावर
अविद्येच्या विष्ठेचं साम्राज्य
खेड़े म्हणजे गोपनीय मतदानाला
उघडं करण्याचं ठिकाण

खेड़े म्हणजे फ़िल्टर वाटर च्या काळात
विहीरीचं पाणी पिणारे भारतीय बीमार

खेड़े म्हणजे बैलाना
नामर्द करण्याचे ठिकाण

खेड़े म्हणजे अन्नधान्याच्या
निर्मितीसाठी जुंपलेले गुलाम
          - चारागर (चारुशील माने)


शनिवार, 26 सितंबर 2015

इतना हो की/itna ho ki

🌹इतना हो कि 🌹

इतना हो कि
मेरी यादें तुम मिटा दोगे
ये बात खुद को मै समझा सकूँ ||

इतना हो कि
तुम बिन मैं जीवन को अपने
पूरी तरह से कभी पा न सकूँ ||

पत्थर की दीवार जैसा
मन-जिगर बनाए तुम्हारी आरजू से
तुमने ही सौंपी फूलमाला तहसनहस कर सकूँ

इतना हो कि
सुख के बदले दुःख भुला न सकूँ
बेवफाई से और बड़ा कोई दुःख न पाऊँ

इतना हो कि
किसी का किसी के लिए रुकता नहीं
ये अपने आप को मैं समझा सकूँ

-----चारुशील माने (चारागर)
🌹

शुक्रवार, 25 सितंबर 2015

हिंदी शायरी (चारागर)




ग़म जश्नों से छुपाती है दुनिया

दर्द हटाकर मुस्कुराकर तो देख

इरादों से बनती है इमारते इमले

बनाया इरादा कर के तो देख


धुआँओं को हटाकर तो देख

दिल की दुनिया से बाहर तो देख

कब से एक अदना सा मैं दिया

हर रात जलता हूँ ऐ "चारागर" देख

शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

रक्षाबंधन Rakshabandhan

रक्षाबंधन / भिक्षाबंधन

कसलं हे रक्षेचं बंधन
जबरदस्तीचं भिक्षाबंधन
ना दिला संपत्तीचा समान हक्क
स्त्रीला हजारो वर्ष संस्कृतीनं

        भावा - बहिणीला चंदन
        व्यापाराचं भरतं  आंगण
        ५१ मिनिटाला देशात बलात्कार
        बेगडी हे नात्याचं बंधन

केले लाखो बहीणींचे पोटी खून
कसे विसरू बुधवार पेठेतील बहिणींचे नर्तन
व्यर्थ आहे हे शरीरावरचं गोंदण
देत नाहीत लाखों बहीणींना शिक्षण

        आजही येलम्माच्या देवदासीला
        भाग आहे वेश्येचं जीवन जगणं
        आज तर " चारागर" नातंच झालं भग्न
        बहिण तर बनलं संपत्तीचं विघ्नं…

रक्षाबंधन - भिक्षाबंधन !!

           - चारुशील माने (चारागर)

रविवार, 23 अगस्त 2015

Mai Satta Bharat Ki मैं सत्ता भारत की

Mai Satta Bharat Ki मैं सत्ता भारत की

मैं मुठ्ठीभर लोगों की वो सत्ता हूँ
जो देश की नदियां जोड़ना नहीं चाहती
मैं मुठ्ठीभर लोगों की वो सत्ता हूँ
देहातों को बदलना नहीं चाहती
लोगों को देहातों में पढ़ाना नहीं चाहती

देहातों के घर-घर शांती नहीं चाहती
धर्मों में एकता की केमिस्ट्री नहीं चाहती
मैं मुठ्ठीभर लोगों की वो सत्ता हूँ
जो अन्तर्जाती विवाह नहीं चाहती
दिल-दिल के फासले तोडना नहीं चाहती

न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं चाहती
47 से खुद को दूसरे को सौंपना नहीं चाहती
मैं मुठ्ठीभर लोगों की वो सत्ता हूँ
देशदीवार की अपनी ईंटें सरकाना नहीं चाहती

नंगें मेलों में हो जाये चाहे तिजोरी ख़ाली
पर गरीबों में दौलत लुटाना नहीं चाहती
मैं मुठ्ठीभर लोगों की वो सत्ता हूँ
नंगें मेलों से आसाराम को खोना नहीं चाहती
रोगों को सल्तनत से मिटाना नहीं चाहती

मजहब का झगड़ा मिटाना नहीं चाहती
करप्शन को गले से हटाना नहीं चाहती
मैं मुठ्ठीभर लोगों की वो सत्ता हूँ
देहातों के झोपड़ें रहेंगे हज़ारों साल
दारिद्र्य को कौम से हटाना नहीं चाहती

वारिसदार गद्दी से हटाना नहीं चाहती
हो जाये यहाँ हर नारी चाहे बेइज्जत
मगर राधेमाँ को सताना नहीं चाहती
मैं मुठ्ठीभर लोगों की वो सत्ता हूँ
मर जाये चाहे बेक़सूर लोग यहांपर
मगर विस्फोटों को मिटाना नहीं चाहती
वोटर्स के लिये क्राइम रेट घटाना नहीं चाहती
(अपूर्ण)
- चारुशील माने (चारागर)




शनिवार, 8 अगस्त 2015

Sama Hai Mahka समां है महका-महका

समां है महका- महका
दिल भी है बहका बहका
दिल भी तरसा तरसा
समां है महका- महका
दिल भी तरसा तरसा
समां है महका- महका ।। धृ।।

रिम-झिम सा रिम-झिम सा -2
तुम ही है जो दिल ने जिस को
थामा है जो इतना पास
जानेजाना यूँ न सताओ
आजाओ ज़रा पास
सावन भी है ये बरसा-बरसा ।। 1 ।।
     दिल भी बहका-बहका
     समां है महका- महका

था कितना संयम-सा
हो गया चंचल-सा -2
समझाया था दिल को कितना
फिर भी न आया कभी ये बाज़
ख्याल तुम्हारा धीरे-धीरे
दिल का बना है राज़ - 2
तुम्हे पाने दिल तरसा तरसा ।। 2 ।।
      दिल भी है बहका बहका
      समां है महका- महका
                   - चारुशील माने (चारागर)