रविवार, 18 अगस्त 2024

मोबाइल से किया पेमेंट लेकिन दूसरे के खाते में चले गए पैसे, यहां करें शिकायत

 मोबाइल से किया पेमेंट लेकिन दूसरे के खाते में चले गए पैसे, यहां करें शिकायत, 48 घंटे में पैसा आ जाएगा वापस

मोबाइल से पेमेंट करते समय अक्सर छोटी-सी गलती से पैसा किसी और व्यक्ति के खाते में चला जाता है. ऐसी स्थिति में शिकायत 3 अहम विकल्प हैं, जहां ग्राहक इस बात की जानकारी दे सकता है.


 मोबाइल से फंड ट्रांसफर transfer करते समय अक्सर एक नंबर की गलती से पैसा किसी और व्यक्ति के खाते में चला जाता है. छोटा अमाउंट तो व्यक्ति बर्दाशत कर लेता लेकिन ज्यादा हो तो टेंशन बढ़ जाती है

 हालांकि, अगर यूपीआई या अन्य पेमेंट ऐप से फंड ट्रांसफर करते समय पैसा किसी और व्यक्ति के खाते में चला जाता है तो आसानी से वापस आ जाता है. इसके लिए आपको कहीं भटकने की जरूरत नहीं है बल्कि एक फोन कॉल करना होगा. आप बस 48 घंटे के अंदर अपना पैसा वापस पा सकते हैं, अब जानते हैं कैसे?



 डिजिटल पेमेंट तेजी से बढ़ा है. इस अवधि में लगातार गलत ट्रांजेक्शन की शिकायतें भी सामने आती रही हैं. यूजर्स की इस समस्या को ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने रिफंड प्रोसेस को लगातार आसान बनाया है.

कहां और कैसे करें शिकायत देखे


-यूपीआई ऐप और नेट बैंकिंग से गलत अकाउंट में पैसा चला जाए तो इसकी शिकायत सबसे पहले टोल फ्री नंबर 18001201740 पर करें.


-इसके बाद आपके जिस अकाउंट से पैसा कटा है वहां जाएं और फार्म भरकर इसकी जानकारी दें.


-RBI की गाइडलाइन के अनुसार, ऑनलाइन पेमेंट के दौरान अगर किसी और खाते में पैसा चला जाता है तो यह बैंक की जिम्मेदारी है कि वह शिकायत के बाद 48 घंटे के अंदर रिफंड प्रोसेस करे.


-इसके अलावा, आप बैंक से सर्विस कस्टमर डिपार्टमेंट को भी email ई-मेल भेजकर शिकायत दर्ज कर सकते हैं.


-अगर बैंक की ओर से कोई जवाब नहीं मिले या बैंक मदद करने से मना कर दे तो इसकी शिकायत ---  bankingombudsman.rbi.org.in पर करें.

-सबसे जरूरी बात है कि गलत ट्रांजेक्शन होने के बाद फोन पर मिले मैसेज को डिलीट नहीं करें. क्योंकि, इस एसएमएस में PPBL नंबर होता है, जिसकी शिकायत के समय जरूरत होती है. याद रखें अगर आपसे गलत ट्रांजैक्शन हो जाता है तो इसकी शिकायत 3 दिन के भीतर ही करें.


Tags: Business news, Digital payment, UPI Payment

शुक्रवार, 16 अगस्त 2024

एखाद्या जमीन मालकाने, थेट त्याच्याच कुळाला जमिनीची विक्री केली तर ते विधीग्राह्य ठरेल काय?

 एखाद्या जमीन मालकाने, थेट त्याच्याच कुळाला जमिनीची विक्री केली तर ते विधीग्राह्य ठरेल काय?


उत्तरः नाही, कुळवहिवाट अधिनियम हा कुळांच्या हक्कांचे संरक्षण करण्यासाठी, त्यांची पिळवणूक होऊ नये आणि त्यांना कोणी फसवू नये या उद्देशाने तयार करण्यात आला आहे. जमीनमालकाला, कुळ कसत असलेली जमीन, त्यालाच विकत देण्याची इच्छा असल्यास कलम ६४ अन्वये त्याची पध्दत विहित केलेली आहे. कुळवहिवाट अधिनियमाखालील कोणत्याही जमिनीची खरेदी किंवा विक्री शेत जमीन न्यायाधिकरणाच्या परवानगीशिवाय होऊ शकत नाही.

64. (1) Where a landlord intends to sell any land, he shall apply to the

Tribunal for determining the reasonable price thereof. The Tribunal shall thereupon

determine the reasonable price of the land in accordance with the provisions of

section 63A. The Tribunal shall also direct that the price shall be payable either

in lump sum or in annual instalments not exceeding six carrying simple interest

at 4 1/2 per cent. per annum :

Provided that, in the case of sale of the land in favour of a permanent tenant

when he is in possession thereof, the price shall be at six times the annual rent.

(2) After the Tribunal has determined the reasonable price, the landlord shall

simultaneously in the prescribed manner make an offer––

(a) in the case of agricultural land,––

(i) to the tenant in actual possession thereof, notwithstanding the fact that

such land is a fragment; and

(ii) to all persons and bodies mentioned in the priority list;


खरेदीखत जुने असल्याचा तर खरेदीखत रद्द केला जाऊ शकते का? Specific Relief Act

Specific Relief Act स्पेसिफिक रिलीफ ऍक्ट अंतर्गत एखादे इन्स्ट्रुमेंट (खरेदीखत, गहाणखत व इतर) असे जर धोक्याने, बळजबरीने, खोटेपणा, फसवणूक व इतर अश्या कारणामुळे तयार केले गेले आहेत त्यामध्ये पार्टीची मुक्त संमती (फ्री कॉनसेंट) नव्हती तर या आधारावर ते इन्स्ट्रुमेंट/डिड deed रद्द करण्याचा अधिकार मा. न्यायालयास असतो.

जर 25 वर्षे खरेदीखत जुने असल्याचा तर खरेदीखत नोंदणी झाल्यापासून तीन वर्षांच्या आत विक्री करार रद्द केला जाऊ शकतो.
परंतु, या कालावधीनंतर, खोटेपणा किंवा फसवणूक यासारखे रद्द करण्याचे वैध कारण असल्याशिवाय ते रद्द केले जाऊ शकत नाही.
तरी 25 वर्षे एवढा कालावधी मध्ये तुम्ही का नाही रद्द करण्यास दावा दाखल केला याचे स्पष्ट कारण मा. न्यायालयास देणे गरजेचे आहे.